

पूज्य श्री राधारमण जी महाराज अपने ही गांव (गुमानपुर) से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद श्री धाम वृंदावन के धर्मसंघ विद्यालय रमणरेती में पूर्व मधयमा शिक्षा प्राप्त की, उपरांत उत्तर मधयमा शास्त्री ब्रह्मचर्य विद्यालय से पूर्ण किया।
तदुपरांत महाराज जी ने सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय से आचार्य की उपाधि प्राप्त की और साथ ही वेदपाठ का अध्धयन किया।
पूज्य श्री राधारमण जी महाराज सनातन धर्म की ध्वजा को लेकर पूरे भारत वर्ष में लाखों लोगों को पिछले 30 वर्ष से भगवान की भक्ति और अपनी अमृतमयी वाणी से सेवा, संस्कृति और संस्कारों से जोड़कर लोगों का जीवन बदलने वाले एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और मानवता के सेवाकारी हैं।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के गुमानपुर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री गंगाराम उपाध्याय और माता का नाम श्रीमती अनीता उपाध्याय हैं।
श्री राधे कल्पतरु फॉउंडेशन ट्रस्ट के साथ श्री राधारमण जी महाराज की सेवाएं

युक्तः कर्मफलं त्यक्त्वा
महाराज जी अपनी कथाओं से आने वाले दान से श्री राधे कल्पतरु फाउंडेशन के द्वारा वृद्ध सेवा , गौ सेवा ,आपदा सेवा व सामाजिक सेवा समय समय पर करते हैं
गौ सेवा या गौ रक्षा के लिए कथाओं के द्वारा आये हुए दान के कुछ अंश को श्री राधे कल्पतरु फाउंडेशन के द्वारा महारज जी गौ सेवा को समर्पित करते हैं
महाराज जी वृद्धो की देख भाल और सम्मान करना उनके लिए बड़े सौभाग्य की बात है बुज़ुर्गो को उनकी जरुरत की चीजे उन तक पहुँचाना और सेवा करना अपना उद्धार करना ही है यह भी एक विशिष्ट भक्ति कहलाती है।
